*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मै श्मशान घाट की अग्नि हूँ ,
.............मैं खोई रही............
बेचैन थी लहरें समंदर की अभी तूफ़ान से - मीनाक्षी मासूम
कई मौसम गुज़र गये तेरे इंतज़ार में।
करो तारीफ़ खुलकर तुम लगे दम बात में जिसकी
बजार ऐसे मतलबी लोगों से भरा पड़ा है।।
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
किस मिटटी के बने हो यार ?
आइये तर्क पर विचार करते है
दीवाने खाटू धाम के चले हैं दिल थाम के
हर वक़्त सही है , गर ईमान सही है ,
*किस्मत वाले जा रहे, तीर्थ अयोध्या धाम (पॉंच दोहे)*
हर मोड़ पे उन का हमारा सामना होने लगा - संदीप ठाकुर
सावन के झूलों पे, पूछे सखियाँ
'हाँ" मैं श्रमिक हूँ..!
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
सीखा रही है ये जिन्दगी मुझे हर घड़ी हर पल,इस दुनिया में तरह-