.............मैं खोई रही............
………….मैं खोई रही…………
कब, किसने क्या कहा
मैंने कभी सुना ही नहीं
कब किसने क्या सोचा
मैंने यह समझा ही नहीं
कब किसने क्या किया
मैंने यह जाना ही नहीं
मैं तो खोई ही रही
अपनी दुनियां में सिमटी रही
सब देखा सब सुना
लेकिन मन में नहीं भरा
मन मैला नहीं किया
मैं खोई ही रही
अपने सुख दुःख में
सच्ची सहेली बनकर
कभी रोकर कभी हंसकर
मैं खोई ही रही
अपनी दुनियां में उम्र भर
_ सोनम पुनीत दुबे