*नव वर्ष हमारा चिर-परिचित, विक्रम संवत कहलाता है (राधेश्यामी

नव वर्ष हमारा चिर-परिचित, विक्रम संवत कहलाता है (राधेश्यामी छंद)
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1)
नव वर्ष हमारा माह चैत्र, प्रतिपदा शुक्ल को आता है।
नव वर्ष हमारा चिर-परिचित, विक्रम संवत कहलाता है।।
2)
नव वर्ष हमारा शुभागमन, माता दुर्गा को गाता है।
मॉं के स्वरूप नौ होते हैं, उनमें यह ध्यान लगाता है।।
3)
हम छंदों में मॉं को गाकर, अपना नव वर्ष मनाते हैं।
माता की कृपा प्राप्त करके, हम धन्य-धन्य हो जाते हैं।।
4)
नव वर्ष रामनवमी की तिथि, श्री रामचंद्र की गाथा है।
अवतरण अयोध्या में प्रभु का, भारत का ऊॅंचा माथा है।।
5)
नव वर्ष हमारा प्रकृति स्वयं, आनंदित हुई मनाती है।
नूतन पाते हैं वृक्ष देह, पत्ती-पत्ती मुस्काती है।।
6)
नव वर्ष हमारा आता है, तो नई सृष्टि उपजाता है।
सज-धज कर नए वस्त्र पहने, शिशु-सा उपवन हर्षाता है।।
7)
जब शहद-भरी हो हवा और, मादकता पग-पग फैली हो।
आलस से जब मन की उमंग, किंचित भी कहीं न मैली हो।।
8)
यह नूतन वर्ष हमारा है, उत्साह हिलोरें लेता है।
यह नूतन वर्ष जहॉं आया, मन में सुगंध भर देता है।।
9)
नव वर्ष हमारा संग-संग, सौ इंद्रधनुष भी लाता है।
हर वन-उपवन हर गमले में, यह सातों रंग सजाता है।।
10)
नव वर्ष हमारा यौवन की, मस्ती को तन में गाता है।
नव वर्ष हुआ तो पानी भी, बलवर्धक पेय प्रदाता है।।
11)
नव वर्ष हमारा धरती पर, खुद कामदेव की माया है।
श्वासों में जैसे घुली हुई, आकार-रहित यह काया है।।
12)
नववर्ष हमारा ऋतुओं का, राजा जग में कहलाता है।
नव वर्ष साथ में ले वसंत, खुशबू फैलाने आता है।।
13)
नव वर्ष बताता है जीवन, उत्साहित हो शुरुआत करो।
नव वर्ष बताता है प्रमुदित, होकर ही सबसे बात करो।।
14)
नव वर्ष हमारा मुदित-भाव, मृदु मन में सहज जगाता है।
नव वर्ष हमारा प्रेम-दृष्टि, वाहक जग में बन जाता है।।
15)
नव वर्ष अर्थ है मैल सभी, मन के होली में जल जाऍं।
नव वर्ष हमारा कहता है, वसुधा कुटुंब हम बतलाऍं।।
16)
नव वर्ष हमारा भ्रातृ-भाव, नव वर्ष प्रेम सिखलाता है।
नव वर्ष कोटि अभिनंदन है, वंदन रचयिता विधाता है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451