आंख से मत कुरेद तस्वीरें - संदीप ठाकुर
*नल से जल की योजना, फैले इतनी दूर (कुंडलिया)*
मन से उतरे लोग दाग धब्बों की तरह होते हैं
राज जिन बातों में था उनका राज ही रहने दिया
रतन महान , एक श्रद्धांजलि
जो गूंजती थी हर पल कानों में, आवाजें वो अब आती नहीं,
*शिक्षक जुगनू बन जाते हैँ*
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
* हमसे अच्छा हमारा कोई दोस्त नहीं*
ग़ज़ल की नक़ल नहीं है तेवरी + रमेशराज
गीत- कोई रोया हँसा कोई...
परीक्षाएँ आ गईं........अब समय न बिगाड़ें