न जाने कब हमसफ़र से अनायत्री बन गये. अपनों के बीच रह कर भी अन

न जाने कब हमसफ़र से अनायत्री बन गये. अपनों के बीच रह कर भी अनजाने बन गये।
अभी तो सिर्फ थोड़ा सा वक़्त ही बीता है.. हम तो भरी महफ़िल में बेगाने हो गये।
भूल हमसे क्या हुई जो हम बिना बात के गुनहगार हो गए