थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
इश्क़ के नाम पर धोखा मिला करता है यहां।
रेत का ज़र्रा मैं, यूं ही पड़ा था साहिल पर,
कालिदासस्य काव्यवैशिष्ट्यम्
शहर का मैं हर मिजाज़ जानता हूं....
कोशिश करके हार जाने का भी एक सुख है
*जाते जग से जीव सब, जग का यही विधान (कुंडलिया)*
अनवरत यात्रा
Gajanand Digoniya jigyasu