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9 Nov 2024 · 1 min read

sp 127 ऊपर नीचे

sp 127 ऊपर नीचे
****************
ऊपर नीचे नीचे ऊपर सुख दुख दोनों ही चलते हैं
हवा जलाती है दीपक को और बुझाती वही हवा है
@
एक शब्द पानी बोलो तो सभी सामने आ जाते हैं
नदी कुआ तालाब का पानी या फिर पानी बोतल वाला
@
जब तक आप रहे दुनिया में सतत रवानी रहनी चाहिए
इसके आगे क्या होना है नहीं जानता है कोई भी
@
अपना अपना भोजन ढूंढो वो सब की खातिर है रखता
चिड़िया चींटी कीट पतंगे सब अपना हिस्सा पाते हैं
@
बाहर कोई नहीं आ सकता लगी है कुंडी बंद है ताला
लेकिन व्यवस्थाएं सुंदर हैं खाना पानी सभी मिलेगा
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
sp127

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