Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jan 2025 · 1 min read

करते रहो सुकर्म को सोचो न फल कभी

करते रहो सुकर्म को सोचो न फल कभी
कमजोर को दिखाना नहीं अपना बल कभी
आलस्य में अगर न किया काम ध्यान से
तो देख लेना ये नहीं आएगा पल कभी
डॉ अर्चना गुप्ता

24 Views
Books from Dr Archana Gupta
View all

You may also like these posts

परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
गरीबी और लाचारी
गरीबी और लाचारी
Mukesh Kumar Sonkar
आज का दौर
आज का दौर
Shyam Sundar Subramanian
जनता नहीं बेचारी है --
जनता नहीं बेचारी है --
Seema Garg
लिबास दर लिबास बदलता इंसान
लिबास दर लिबास बदलता इंसान
Harminder Kaur
नूतन रूप धर के तो देख !
नूतन रूप धर के तो देख !
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
लिखने लग जाती मैं कविता
लिखने लग जाती मैं कविता
Seema gupta,Alwar
कल तो निर्मम काल है ,
कल तो निर्मम काल है ,
sushil sarna
प्रेम पथिक
प्रेम पथिक
Jai Prakash Srivastav
इस दरिया के पानी में जब मिला,
इस दरिया के पानी में जब मिला,
Sahil Ahmad
क्या घबराना ...
क्या घबराना ...
Meera Thakur
क्या खूब
क्या खूब
Dr fauzia Naseem shad
"रूहों के सफर में"
Dr. Kishan tandon kranti
मांग कर ली हुई चीज़े अपनी गरिमा खो देती है, चाहे वो प्रेम हो
मांग कर ली हुई चीज़े अपनी गरिमा खो देती है, चाहे वो प्रेम हो
पूर्वार्थ
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
सुखांत
सुखांत
Laxmi Narayan Gupta
दीदार-ए-इश्क
दीदार-ए-इश्क
Vivek saswat Shukla
*पाते किस्मत के धनी, जाड़ों वाली धूप (कुंडलिया)*
*पाते किस्मत के धनी, जाड़ों वाली धूप (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कह पाना मुश्किल बहुत, बातें कही हमें।
कह पाना मुश्किल बहुत, बातें कही हमें।
surenderpal vaidya
औरते और शोहरते किसी के भी मन मस्तिष्क को लक्ष्य से भटका सकती
औरते और शोहरते किसी के भी मन मस्तिष्क को लक्ष्य से भटका सकती
Rj Anand Prajapati
इंसान उसी वक़्त लगभग हार जाता है,
इंसान उसी वक़्त लगभग हार जाता है,
Ajit Kumar "Karn"
इंतजार
इंतजार
शिवम राव मणि
U888
U888
u888tube
वंदे मातरम
वंदे मातरम
Deepesh Dwivedi
“मृदुलता”
“मृदुलता”
DrLakshman Jha Parimal
खुशबू चमन की।
खुशबू चमन की।
Taj Mohammad
सलाम सलाम, उन शहीदों को सलाम
सलाम सलाम, उन शहीदों को सलाम
gurudeenverma198
कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया छंद
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
दूरी इतनी है दरमियां कि नजर नहीं आती
दूरी इतनी है दरमियां कि नजर नहीं आती
हरवंश हृदय
जंग के भरे मैदानों में शमशीर बदलती देखी हैं
जंग के भरे मैदानों में शमशीर बदलती देखी हैं
Ajad Mandori
Loading...