Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2024 · 1 min read

युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझको

युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझको
सो रही अन्तरात्मा की आवाज जगा दो मुझको

बिखर न जाएँ जिन्दगी में ख़ुशी के पल
आशा की नई किरणों से सजा दो मुझको

आंसुओं भरी रातों में , बिखरें न जिन्दगी के हंसी पल
एक मुटठी चांदनी हो , मेरी जिन्दगी का सबब

न जाने अश्क से आँखों में क्यों हैं आये हुए
इन आंसुओं के समंदर से बाहर निकाल लो मुझको

मेरे सपनों की शाम , न हो जाए कहीं
हो सके तो प्यार की सरिता में बहा दो मुझको

तिनके – तिनके से सजाया है आशियाना मैंने
हो सके तो इस आशियाने में सजा दो मुझको

एक ख़त लिखा था मैंने तुझको ए मेरे सनम
कुछ फूल इन खतों के जवाब में भेज दो मुझको

आकाश से भी ऊँची थी मेरे सपनों की उड़ान
दुआ करो सपनों को मेरे , और आसमान नसीब हो मुझको

युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझको
सो रही अन्तरात्मा की आवाज़ जगा दो मुझको

अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

Language: Hindi
89 Views
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all

You may also like these posts

ख़ुद से अपना हाथ छुड़ा कर - संदीप ठाकुर
ख़ुद से अपना हाथ छुड़ा कर - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
#मीठा फल
#मीठा फल
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
युवराज को जबरन
युवराज को जबरन "लंगोट" धारण कराने की कोशिश का अंतिम दिन आज।
*प्रणय*
नारी वेदना के स्वर
नारी वेदना के स्वर
Shyam Sundar Subramanian
जो सरकार धर्म और जाति को लेकर बनी हो मंदिर और मस्जिद की बात
जो सरकार धर्म और जाति को लेकर बनी हो मंदिर और मस्जिद की बात
Jogendar singh
शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
Abhishek Soni
होरी खेलन आयेनहीं नन्दलाल
होरी खेलन आयेनहीं नन्दलाल
Bodhisatva kastooriya
* पत्ते झड़ते जा रहे *
* पत्ते झड़ते जा रहे *
surenderpal vaidya
पीले पात
पीले पात
आशा शैली
बदल रहा है ज़माना मगर अंदाज़ नये है ।
बदल रहा है ज़माना मगर अंदाज़ नये है ।
Phool gufran
जो कहना है खुल के कह दे....
जो कहना है खुल के कह दे....
Shubham Pandey (S P)
जिंदगी और स्वाद
जिंदगी और स्वाद
पूर्वार्थ
है कौन जो इस दिल का मेज़बान हो चला,
है कौन जो इस दिल का मेज़बान हो चला,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ओ सर्द रातें
ओ सर्द रातें
Santosh kumar Miri
मैं एक अँधेरी गुफा में बंद हूँ,
मैं एक अँधेरी गुफा में बंद हूँ,
लक्ष्मी सिंह
दोहा सप्तक. . . . . मन
दोहा सप्तक. . . . . मन
sushil sarna
कलियों सी मुस्कुराती
कलियों सी मुस्कुराती
Anand Kumar
**वसन्त का स्वागत है*
**वसन्त का स्वागत है*
Mohan Pandey
*गाता है शरद वाली पूनम की रात नभ (घनाक्षरी: सिंह विलोकित छंद
*गाता है शरद वाली पूनम की रात नभ (घनाक्षरी: सिंह विलोकित छंद
Ravi Prakash
गीत- तुझे देखा लगा ऐसा...
गीत- तुझे देखा लगा ऐसा...
आर.एस. 'प्रीतम'
सूनी बगिया हुई विरान ?
सूनी बगिया हुई विरान ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जिस पर करते हैं टूट जाता है।
जिस पर करते हैं टूट जाता है।
Dr fauzia Naseem shad
प्यार
प्यार
Kanchan Khanna
कराहती धरती (पृथ्वी दिवस पर)
कराहती धरती (पृथ्वी दिवस पर)
डॉ. शिव लहरी
मित्रता की परख
मित्रता की परख
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
मटिये में जिनिगी
मटिये में जिनिगी
आकाश महेशपुरी
3582.💐 *पूर्णिका* 💐
3582.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मैं सूरज दूर बहुत दूर
मैं सूरज दूर बहुत दूर
Lekh Raj Chauhan
" बेहतर रहे "
Dr. Kishan tandon kranti
इंसानियत
इंसानियत
अशोक कुमार ढोरिया
Loading...