बस
हमने जैसे ही
भीड़ भरी बस में प्रवेश किया !
एक यात्री ने
बड़ी जोर से धक्का दिया !!
हमने पूछा…
अजी मियां ! क्या गजब कर रहे है ?
एक दुबले पतले कवि को धक्का दे रहे है !!
तभी वह बोला…
हुजूर मैं आपकी परेशानी समझ रहा हूं !
किंतु क्या करूं ?
इस भीड़ भरी बस में
बामुश्किल से सांस ले रहा हूं !!
• विशाल शुक्ल