।।रंगों की बौछार।।

।।रंगों की बौछार।।
आया होली का त्यौहार।
उड़े रंगों की बौछार ।
गली मोहल्ले हुड़दंग मची।
होली वाली सबको बात जची।
देवर भौजी खेलें होली।
मस्ती करती बच्चों की टोली।
पन्नू मन्नू गुडडा गुड्डी,
तोड़ रहे मटका और मटकी।
रंग बिरंगी हरी पीली,
पिचकारी भी अब पिचकी।
रंगों की महिमा है न्यारी।
गाते सन्त महात्मा और पुजारी।
बृन्दावन बैरागी”कृष्णा”