कहते हैं तुम्हें ही जीने का सलीका नहीं है,
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
आज का मुसाफ़िर हूं कल न जाने कहा खोजावूगा , मिलना तो तुझे कभ
अक्सर तुट जाती हैं खामोशी ...
डर, साहस, प्रेरणा,कामुकता,लालच,हिंसा,बेइमानी इत्यादि भावनात्
ग़ज़ल(ज़िंदगी लगती ग़ज़ल सी प्यार में)
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज
किसे कुछ काम नहीं रहता है,
प्रेम को चुना तो परिवार खो दिया परिवार को चुना तो प्रेम खो द
महफिले लूट गया शोर शराबे के बगैर। कर गया सबको ही माइल वह तमाशे के बगैर। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
वेदना वेदना की
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)