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8 May 2024 · 1 min read

*प्रेम नगरिया*

प्रेम नगरिया
धूप और छांव सा साथ हमारा
वर्षा और बूंद सा एहसास हमारा
निस्वार्थ प्रेम की परिभाषा हो
बिन शब्दों की अद्भुत भाषा हो
कितना मधुर हो हम दोनों का
प्रेम समर्पण और मर्यादा
कितना अमिट हो हम दोनों का
त्याग कर्तव्य और अटूट वादा
इस कसौटी पर ही सबको
अपनी दुनिया सजानी है
विश्वास के एक-एक ईंटों से
प्रेम नगरिया बनानी है

Language: Hindi
1 Like · 130 Views
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