किसी को गिराया न ख़ुद को उछाला,

किसी को गिराया न ख़ुद को उछाला,
कटा ज़िंदगी का सफ़र धीरे-धीरे…।
जहाँ आप पहुँचे छलाँगे लगाकर,
वहाँ मैं भी आया मगर धीरे-धीरे।
~रामदरश मिश्र
किसी को गिराया न ख़ुद को उछाला,
कटा ज़िंदगी का सफ़र धीरे-धीरे…।
जहाँ आप पहुँचे छलाँगे लगाकर,
वहाँ मैं भी आया मगर धीरे-धीरे।
~रामदरश मिश्र