काश मैं भी अपनी इक दीवार बना लेता

काश मैं भी अपनी इक दीवार बना लेता
अपने घर अपनी सरकार बना लेता
प्रेम के फूलों में उग आये कांटे अब
अपने इस घर को बोर्डर पार बना लेता
~ जितेन्द्र कुमार “सरकार”
काश मैं भी अपनी इक दीवार बना लेता
अपने घर अपनी सरकार बना लेता
प्रेम के फूलों में उग आये कांटे अब
अपने इस घर को बोर्डर पार बना लेता
~ जितेन्द्र कुमार “सरकार”