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1 Mar 2025 · 1 min read

काश मैं भी अपनी इक दीवार बना लेता

काश मैं भी अपनी इक दीवार बना लेता

अपने घर अपनी सरकार बना लेता

प्रेम के फूलों में उग आये कांटे अब

अपने इस घर को बोर्डर पार बना लेता

~ जितेन्द्र कुमार “सरकार”

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