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17 May 2024 · 1 min read

वो केवल श्रृष्टि की कर्ता नहीं है।

मुक्तक

1222/1222/122
वो केवल श्रृष्टि की कर्ता नहीं है।
कि नारी शक्ति है अबला नहीं है।
बने काली तो फिर संहार करती,
फिर आगे कोई टिक सकता नहीं है।
(फिर+आगे)

…….✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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