Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Nov 2024 · 1 min read

‘सुनो स्त्री’

सुनो स्त्री!
अपनी इच्छाओं के उत्पीड़न की
चोटिल ध्वनि को
वृद्ध होती काॅंपती सी
अपनी उर्वरक ऑंखों की नमी को

स्वीकारो
नव-विकसित चेतना का साथ
मिला लो झुर्रीदार, थरथराते हाथों से
अपना मजबूत हाथ

बढ़ो स्त्री!
स्नेहिल सादगी से
सॅंवारो अपनी लुप्त होती संस्कृति को
रोको अपनी रचनात्मक विरक्ति को

चलो स्त्री!
आरंभ करो एक नया सफ़र
संपूर्णता के साथ
भर दो
कुरीतियों के उमस भरे
तम से घुटे कमरे में
नवसभ्यता के विकास का उजास

जुड़ो स्त्री!
एक नये धरातल से
चुनो स्त्री!
अपने मजबूत यर्थाथ को
गढ़ो स्त्री!
कुछ नये आयाम
और
चकित कर दो विश्व को
पुनः अपने सटीक शास्त्रार्थ से!

रश्मि ‘लहर’
लखनऊ

Language: Hindi
1 Like · 101 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*लफ्ज*
*लफ्ज*
Kumar Vikrant
मेरे दुःख -
मेरे दुःख -
पूर्वार्थ
मां
मां
Durgesh Bhatt
बंदर मामा
बंदर मामा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
नहीं खुलती हैं उसकी खिड़कियाँ अब
नहीं खुलती हैं उसकी खिड़कियाँ अब
Shweta Soni
यारा, मैं नाचूँ झूम-झूमकर
यारा, मैं नाचूँ झूम-झूमकर
gurudeenverma198
सजल
सजल
seema sharma
गलतियां हमारी ही हुआ करती थी जनाब
गलतियां हमारी ही हुआ करती थी जनाब
रुचि शर्मा
सोलह श्राद्ध
सोलह श्राद्ध
Kavita Chouhan
रोजगार मिलता नहीं,
रोजगार मिलता नहीं,
sushil sarna
*नशा तेरे प्यार का है छाया अब तक*
*नशा तेरे प्यार का है छाया अब तक*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"रिश्ता"
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्ते टूटे
रिश्ते टूटे
हिमांशु Kulshrestha
जिंदगी
जिंदगी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
विज्ञान और मानव
विज्ञान और मानव
राकेश पाठक कठारा
बहुत याद आएंगे श्री शौकत अली खाँ एडवोकेट
बहुत याद आएंगे श्री शौकत अली खाँ एडवोकेट
Ravi Prakash
डर हक़ीक़त में कुछ नहीं होता ।
डर हक़ीक़त में कुछ नहीं होता ।
Dr fauzia Naseem shad
अपने आपको मस्तिष्क और हृदय से इतना मजबूत बनाओ की मृत्यु के क
अपने आपको मस्तिष्क और हृदय से इतना मजबूत बनाओ की मृत्यु के क
Rj Anand Prajapati
दीवाना कर गया मुझे
दीवाना कर गया मुझे
Nitu Sah
ये ज़िंदगी तुम्हारी है...
ये ज़िंदगी तुम्हारी है...
Ajit Kumar "Karn"
दोस्ती : कल और आज
दोस्ती : कल और आज
Shriyansh Gupta
ज़िंदगी की अहमियत
ज़िंदगी की अहमियत
anurag Azamgarh
न दें जो साथ गर्दिश में, वह रहबर हो नहीं सकते।
न दें जो साथ गर्दिश में, वह रहबर हो नहीं सकते।
सत्य कुमार प्रेमी
मतवाला मन
मतवाला मन
Dr. Rajeev Jain
56…Rajaz musaddas matvii
56…Rajaz musaddas matvii
sushil yadav
हल्के किरदार अक्सर घाव गहरे दे जाते हैं।
हल्के किरदार अक्सर घाव गहरे दे जाते हैं।
अर्चना मुकेश मेहता
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-151से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे (लुगया)
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-151से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे (लुगया)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
The Rotting Carcass
The Rotting Carcass
Chitra Bisht
तलास है उस इंसान की जो मेरे अंदर उस वक्त दर्द देख ले जब लोग
तलास है उस इंसान की जो मेरे अंदर उस वक्त दर्द देख ले जब लोग
Rituraj shivem verma
काबिल बने जो गाँव में
काबिल बने जो गाँव में
VINOD CHAUHAN
Loading...