Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Sep 2024 · 1 min read

जिन्दगी पहलू नहीं पहेली है।

#दिनांक:-3/9/2024
#शीर्षक:-जिन्दगी पहलू नहीं पहेली है।

जिन्दगी परिणाम कम परीक्षा ज्यादा लेती है,
खुशियों से खेलती बहुत, दुख ज्यादा देती है।

इरादों पर बार बार चोट कर निराशा जगाती ,
जब हों हताश, निराशा में आशा उपजा देती है।

कभी निहारती अपने को, कभी भूल जाती
श्रृंगार करती हो बेखबर, प्रेम जगा देती है

वक्तव्य कब देना,कब रुक जाना,इशारे ये ,
वक्त के पहले, बाद इशारा से समझा देती है।

विशेषता है कि जिन्दगी पहलू नहीं पहेली है,
सुलझा कर समस्याओ को अनुभव देती है,

किताब जीवन पर्यन्त पढ़ने की करो कोशिश ,
मैं साकार सगुण हूँ! स्वयं चिल्लाकर बता देती है ।

(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

Language: Hindi
84 Views

You may also like these posts

सन्तुलित मन के समान कोई तप नहीं है, और सन्तुष्टि के समान कोई
सन्तुलित मन के समान कोई तप नहीं है, और सन्तुष्टि के समान कोई
ललकार भारद्वाज
आदतें
आदतें
Sanjay ' शून्य'
औरत
औरत
Shweta Soni
"सबूत"
Dr. Kishan tandon kranti
वो जो करीब थे
वो जो करीब थे "क़रीब" आए कब..
Priya Maithil
।। श्री सत्यनारायण कथा द्वितीय अध्याय।।
।। श्री सत्यनारायण कथा द्वितीय अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
3937.💐 *पूर्णिका* 💐
3937.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
😊सुप्रभातम😊
😊सुप्रभातम😊
*प्रणय*
समझदार बेवकूफ़
समझदार बेवकूफ़
Shyam Sundar Subramanian
सांवले मोहन को मेरे वो मोहन, देख लें ना इक दफ़ा
सांवले मोहन को मेरे वो मोहन, देख लें ना इक दफ़ा
The_dk_poetry
मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है
मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है
Dr fauzia Naseem shad
पुराना भूलने के लिए नया लिखना पड़ता है
पुराना भूलने के लिए नया लिखना पड़ता है
Seema gupta,Alwar
प्रेम एकता भाईचारा, अपने लक्ष्य महान हैँ (मुक्तक)
प्रेम एकता भाईचारा, अपने लक्ष्य महान हैँ (मुक्तक)
Ravi Prakash
बुढापे की लाठी
बुढापे की लाठी
Suryakant Dwivedi
मैं धर्मपुत्र और मेरी गौ माँ
मैं धर्मपुत्र और मेरी गौ माँ
Dr MusafiR BaithA
सामाजिक और धार्मिक कार्यों में आगे कैसे बढ़ें?
सामाजिक और धार्मिक कार्यों में आगे कैसे बढ़ें?
Sudhir srivastava
जन जन फिर से तैयार खड़ा कर रहा राम की पहुनाई।
जन जन फिर से तैयार खड़ा कर रहा राम की पहुनाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बलमू तऽ भइलें जुआरी
बलमू तऽ भइलें जुआरी
आकाश महेशपुरी
किसी के प्रति बहुल प्रेम भी
किसी के प्रति बहुल प्रेम भी
Ajit Kumar "Karn"
" हुई हृदय झंकार "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
फूल
फूल
Punam Pande
आत्महत्या के पहले
आत्महत्या के पहले
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
शराब का इतिहास
शराब का इतिहास
कवि आलम सिंह गुर्जर
दीवाली की रात आयी
दीवाली की रात आयी
Sarfaraz Ahmed Aasee
शायरी
शायरी
Rambali Mishra
आग लगाना सीखिए ,
आग लगाना सीखिए ,
manisha
मैंने एक दिन खुद से सवाल किया —
मैंने एक दिन खुद से सवाल किया —
SURYA PRAKASH SHARMA
श्याम लिख दूं
श्याम लिख दूं
Mamta Rani
परिवार की चिंता,
परिवार की चिंता,
Ranjeet kumar patre
जवानी
जवानी
Rahul Singh
Loading...