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25 Sep 2024 · 1 min read

मेघ-मेघ में धड़कनें, बूँद- बूँद में प्यार।

मेघ-मेघ में धड़कनें, बूँद- बूँद में प्यार।
………..हरी चुनरिया से हुआ, धरती का शृंगार।
………….काया भीगी मेह में, मचले मन के गीत –
……………..बाहों में अच्छी लगी, इनकारों की हार।

सुशील सरना

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