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28 Jun 2024 · 1 min read

सोना और चांदी हैं, कलंदर,तेरी आंखें। मशरूब की मस्ती हैं,समंदर तेरी आंखें।

सोना और चांदी हैं, कलंदर,तेरी आंखें।
मशरूब की मस्ती हैं,समंदर तेरी आंखें।

यूं तो हैं ज़माने में हसीं और भी मंज़र।
है नक्स जहनों दिल में पर दिलबर तेरी आंखें।

मुंतजि़र तेरे लिए मुश्ताक़ सभी हैं।
जब देख ले महफ़िल में मचल कर तेरी आंखें।

ये जब भी गुज़रती है दरे कूच ए जानां।
क्या ढूंढती रहती हैं ये अक्सर तेरी आंखें।

कर दूंगा निछावर ये दिलो जान भी तुम पर।
करले जो मुझसे बात वो हंस कर तेरी आंखें।

अब मेरे भटकने की गुंजाइश नहीं कोई।
जब साथ में हो तुम मेरे,रहबर तेरी आंखें।

उसके सिवा”सगी़र” कोई भाता नहीं है।
आंखों को दिखाती हसीं मंज़र तेरी आंखें।

Language: Hindi
103 Views

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