Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

मेरा ये रब्त है पगले कि फ़ितरत जान लेता हूँ
हरादूँ हार को हँसकर अगर मैं ठान लेता हूँ/1

कोई सूरत नहीं ऐसी मुझे छल से हरा दे जो
सुनो मैं आइना हूँ शक्ल हर पहचान लेता हूँ/2

बसा जो रूह में मेरी भुला उसको नहीं सकता
उसे दिल की हसीं मंज़िल क़सम से मान लेता हूँ/3

करूँ ऐसा ज़ुदा सबसे तभी तारीफ़ पाऊँगा
तस्व्वुर ये हिज़ाबों से परे कर ध्यान लेता हूँ/4

गुलाबी लब उसे प्यारे सुना मैंने यही सोचा
बहारों से मुहब्बत कर उन्हीं की शान लेता हूँ/5

बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
ग़मों को चीरकर मैं छीन हर मुस्क़ान लेता हूँ/6

मुझे ‘प्रीतम’ कहे समझे लगे मुझको वही प्यारा
नहीं मस्क़ा छली तारीफ़ बद अरमान लेता हूँ /7

आर. एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
1 Like · 80 Views
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all

You may also like these posts

शब्द✍️ नहीं हैं अनकहे😷
शब्द✍️ नहीं हैं अनकहे😷
डॉ० रोहित कौशिक
मोहब्बत की
मोहब्बत की
हिमांशु Kulshrestha
वह बरगद की छाया न जाने कहाॅ॑ खो गई
वह बरगद की छाया न जाने कहाॅ॑ खो गई
VINOD CHAUHAN
चित्र कितना भी ख़ूबसूरत क्यों ना हो खुशबू तो किरदार में है।।
चित्र कितना भी ख़ूबसूरत क्यों ना हो खुशबू तो किरदार में है।।
Lokesh Sharma
हर तरफ़ घना अँधेरा है।
हर तरफ़ घना अँधेरा है।
Manisha Manjari
तुम्हें आसमान मुबारक
तुम्हें आसमान मुबारक
Shekhar Chandra Mitra
तुम्हें प्यार करते हैं
तुम्हें प्यार करते हैं
Mukesh Kumar Sonkar
अमृतध्वनि छंद
अमृतध्वनि छंद
Rambali Mishra
साहित्य का बुनियादी सरोकार +रमेशराज
साहित्य का बुनियादी सरोकार +रमेशराज
कवि रमेशराज
यूं ही तुमसे ख़फ़ा नहीं है हम
यूं ही तुमसे ख़फ़ा नहीं है हम
Dr fauzia Naseem shad
प्रेम और युवा
प्रेम और युवा
पूर्वार्थ
आँखों का कोना,
आँखों का कोना,
goutam shaw
ठूंठा पेड
ठूंठा पेड
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
*जन्मभूमि में प्राण-प्रतिष्ठित, प्रभु की जय-जयकार है (गीत)*
*जन्मभूमि में प्राण-प्रतिष्ठित, प्रभु की जय-जयकार है (गीत)*
Ravi Prakash
हाथ छुडाकर क्यों गया तू,मेरी खता बता
हाथ छुडाकर क्यों गया तू,मेरी खता बता
डा गजैसिह कर्दम
प्रेम अब खंडित रहेगा।
प्रेम अब खंडित रहेगा।
Shubham Anand Manmeet
4190💐 *पूर्णिका* 💐
4190💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
We have returned from every door of life,
We have returned from every door of life,
अनिल "आदर्श"
" जीत "
Dr. Kishan tandon kranti
अनचाहे फूल
अनचाहे फूल
SATPAL CHAUHAN
मन में सुकून कहाँ
मन में सुकून कहाँ
Aditya Prakash
Dr Arun Kumar shastri ek abodh balak Arun atript
Dr Arun Kumar shastri ek abodh balak Arun atript
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरे भी दिवाने है
मेरे भी दिवाने है
Pratibha Pandey
गरीबी मैं खानदानी हूँ
गरीबी मैं खानदानी हूँ
Neeraj Mishra " नीर "
वक्त की करवट
वक्त की करवट
Rajesh Kumar Kaurav
जिस्म से रूह को लेने,
जिस्म से रूह को लेने,
Pramila sultan
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
Abhishek Soni
हालातों से हारकर दर्द को लब्ज़ो की जुबां दी हैं मैंने।
हालातों से हारकर दर्द को लब्ज़ो की जुबां दी हैं मैंने।
अजहर अली (An Explorer of Life)
"विकसित भारत" देखना हो, तो 2047 तक डटे रहो बस। काल के कपाल प
*प्रणय*
With and without.
With and without.
Priya princess panwar
Loading...