ज़रूरतों की भीड़ में
टुकड़ों में नींद की
बांहों में सो गया ,
ज़रूरतों की भीड़ में
बचपन भी खो गया ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
टुकड़ों में नींद की
बांहों में सो गया ,
ज़रूरतों की भीड़ में
बचपन भी खो गया ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद