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14 May 2024 · 1 min read

भाईचारा

भाईचारा

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निभाए कैसे हैवानों से इंसानों- सा भाईचारा,
प्रेम जाल में फांस जहाँ श्रद्धा टुकड़े कर दी जाती।

ऊंच-नीच और जात-पात जिसमें बसती बेचैनी ,बदले रंग भले ऊपर के मन में द्वेष की जलती अग्नि।

वेश भूषा , जाति, धर्म और भाषा का हो बंधन,चोर बसा हो जब फितरत मे दिल से दिल मिले कैसे ?

लगता आजाद भले बाहर से अंदर जंजीरों का बंधन,

विवेक के आलोक में देखो, घुटते इंसानो का हैवानों से भाईचारा हो कैसे?

मुक्ता रश्मि *

Language: Hindi
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