Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 1 min read

तेरी मुस्कान होती है

गमों में मुस्कुरा कर भी गले अपने लगाते हैं
बहे न आंख से आंसू उन्हें दिल में पी जाते हैं
बहारें भी मुझे अपना पता देती है वह लेकिन,
न आये शोखियां तल्खी तभी वो मुस्कुराते हैं।

बहुत उम्मीद करो जिनसे जख्म भी वही देते,
बहुत नादां सितमगर वो जो मौका ढूंढ लाते हैं।
कभी हंसते चेहरों में दिली मुस्कान नहीं होती,
कभी आंसू अकारण के,भारी मुस्कान होती है।

दुखों की धूप तीखी भी सदा रहती नहीं कायम,
कभी यह धूप,ठंडी छांव कभी मेहमान होती है।
कभी बिगड़ी हुई बातें संभाल लेती यह मुस्कान,
जहां पर दर्द हो बिखरा लबों की जान होती है।

खिली मुस्कान होठों की लगे किसको नहीं अच्छी,
गुले -आनन,खिली आंखें मुरीदों -दान होती है।
बिछी मुस्कान चेहरों की करे गम को भी वो आधा,
जिंदा है तेरी हस्ती, वही जिंदा पहचान होती है।

261 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

3346.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3346.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
जीवन तो एक विरल सफर है
जीवन तो एक विरल सफर है
VINOD CHAUHAN
Part of plant
Part of plant
सिद्धार्थ गोरखपुरी
प्रेरणा गीत
प्रेरणा गीत
संतोष बरमैया जय
कोरोना
कोरोना
विशाल शुक्ल
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय प्रभात*
लोग करें क्यों छल रे भाई, जब जीवन है अल्प।
लोग करें क्यों छल रे भाई, जब जीवन है अल्प।
संजय निराला
मेरा था तारा   ...
मेरा था तारा ...
sushil sarna
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
The Lost Umbrella
The Lost Umbrella
R. H. SRIDEVI
सखी का सम्मान
सखी का सम्मान
bhumikasaxena17
दोहा - कहें सुधीर कविराय
दोहा - कहें सुधीर कविराय
Sudhir srivastava
मैंने हर मंज़र देखा है
मैंने हर मंज़र देखा है
Harminder Kaur
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
गुमनाम 'बाबा'
मेरी सुखनफहमी का तमाशा न बना ऐ ज़िंदगी,
मेरी सुखनफहमी का तमाशा न बना ऐ ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अंगूठी अनमोल
अंगूठी अनमोल
surenderpal vaidya
*आया पतझड़ तो मत मानो, यह पेड़ समूचा चला गया (राधेश्यामी छंद
*आया पतझड़ तो मत मानो, यह पेड़ समूचा चला गया (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
दौरे-शुकूँ फिर से आज दिल जला गया
दौरे-शुकूँ फिर से आज दिल जला गया
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
मज़हब नहीं सिखता बैर
मज़हब नहीं सिखता बैर
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नारी तुम्हारी समझ
नारी तुम्हारी समझ
Jitendra kumar nagarwal
काश मैं, इन फुलों का माली होता
काश मैं, इन फुलों का माली होता
Jitendra kumar
2) भीड़
2) भीड़
पूनम झा 'प्रथमा'
आज के युग में
आज के युग में "प्रेम" और "प्यार" के बीच सूक्ष्म लेकिन गहरा अ
पूर्वार्थ
धरा दिवाकर चंद्रमा
धरा दिवाकर चंद्रमा
RAMESH SHARMA
मैं भागीरथ हो जाऊ ,
मैं भागीरथ हो जाऊ ,
Kailash singh
ईसामसीह
ईसामसीह
Mamta Rani
"निर्णय आपका"
Dr. Kishan tandon kranti
जलियांवाला बाग
जलियांवाला बाग
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...