*संत सर्वोच्च मानक हो जाये*
प्यास की आश
Gajanand Digoniya jigyasu
नग़मा- लिखूँ जो भी वही नग़मा...
द्रौपदी ही अब हरेगी द्रौपदी के उर की पीड़ा
हे राम,,,,,,,,,सहारा तेरा है।
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
उनकी मोहब्बत में सब कुछ भुलाए बैठें हैं
जाओ हम पूरी आजादी दे दिये तुम्हें मुझे तड़पाने की,
उसके नाम के 4 हर्फ़ मेरे नाम में भी आती है
जीवन जीना अभी तो बाक़ी है
वो केवल श्रृष्टि की कर्ता नहीं है।