Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2024 · 1 min read

* आख़िर भय क्यों ? *

मौत के तांडव से आख़िर भय क्यों ?
जिंदा इंसान कब था मरे से भय क्यों ?

क्या मौत आने से ही मरता इंसान ?
फिर आज ग़म-ग़मगीन इंसान क्यों है ?

कितने ही क्यों छिपे बैठे दिल कोने में
आख़िर इंसान जिंदा है तो क्यों ?

बडा अजीब जानवर है इंसान
आख़िर जानवर हो इंसान क्यों है ?

कहते है इंसानो की सोहबत में
जानवर भी इंसान बन रहता है ।

इंसान किस जानवर की सोहबत पा
खो इंसानियत जानवर बना आज ।

मौत के तांडव से आख़िर भय क्यों ?
जिंदा इंसान कब था मरे से भय क्यों ?

क्या मौत आने से ही मरता इंसान ?
फिर आज ग़म-ग़मगीन इंसान क्यों है ?

डर मत डगर पर चलाचल छल मत
न अपने को ना अपनों को भला ।

मौत से क्या डरना मरकर अमर बन
हो पार नाव चढ़ थाम पतवार घर अपने।

उत्सव मना चल उस ओर चल
आनन्दमग्न भग्न आशायें मत कर ।

मौत के तांडव से आख़िर भय क्यों ?
जिंदा इंसान कब था मरे से भय क्यों ?

क्या मौत आने से ही मरता इंसान ?
फिर आज ग़म-ग़मगीन इंसान क्यों है ?

💐मधुप “बैरागी”

Language: Hindi
1 Like · 203 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all

You may also like these posts

एकाकीपन का सच*
एकाकीपन का सच*
Rambali Mishra
जाते वर्ष का अंतिम दिन
जाते वर्ष का अंतिम दिन
Anant Yadav
मंगल छंद , धार छंद , पंक्ति छन्द
मंगल छंद , धार छंद , पंक्ति छन्द
Subhash Singhai
कुछ पुरुष होते है जिन्हें स्त्री के शरीर का आकर्षण नहीं बांध
कुछ पुरुष होते है जिन्हें स्त्री के शरीर का आकर्षण नहीं बांध
पूर्वार्थ देव
संसार एक जाल
संसार एक जाल
Mukesh Kumar Sonkar
बालों की सफेदी देखी तो ख्याल आया,
बालों की सफेदी देखी तो ख्याल आया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
घर बदला,रस्ता बदला और जमाना बदल दिया
घर बदला,रस्ता बदला और जमाना बदल दिया
दीपक बवेजा सरल
अंदाजा था तुम्हें हमारी हद का
अंदाजा था तुम्हें हमारी हद का
©️ दामिनी नारायण सिंह
खाने में थूक! छी
खाने में थूक! छी
Sanjay ' शून्य'
राधा रानी
राधा रानी
Mamta Rani
🙅आज का आभास🙅
🙅आज का आभास🙅
*प्रणय प्रभात*
हम मुकद्दर से
हम मुकद्दर से
Dr fauzia Naseem shad
मित्रो नमस्कार!
मित्रो नमस्कार!
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
कविता चोरों को सप्रेम भेंट
कविता चोरों को सप्रेम भेंट
अवध किशोर 'अवधू'
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कसौटी जिंदगी की
कसौटी जिंदगी की
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
जिंदगी
जिंदगी
Neeraj Kumar Agarwal
शीर्षक:
शीर्षक:"बहन मैं उसे
Harminder Kaur
आप वो नहीं है जो आप खुद को समझते है बल्कि आप वही जो दुनिया आ
आप वो नहीं है जो आप खुद को समझते है बल्कि आप वही जो दुनिया आ
Rj Anand Prajapati
चमक वह जो तमस् मिटा दे
चमक वह जो तमस् मिटा दे
Mahender Singh
दर्द का सैलाब
दर्द का सैलाब
ओनिका सेतिया 'अनु '
सेवा कार्य
सेवा कार्य
Mukesh Kumar Rishi Verma
एक उदास लड़की
एक उदास लड़की
Shekhar Chandra Mitra
परिवार बचाओ (सामाजिक गीत)
परिवार बचाओ (सामाजिक गीत)
Dr. P.C. Bisen
" शब्द "
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक 3
मुक्तक 3
SURYA PRAKASH SHARMA
जिस तरह
जिस तरह
ओंकार मिश्र
अफसोस नही है मुझको, माँ भारती की भूमि पर मरने का
अफसोस नही है मुझको, माँ भारती की भूमि पर मरने का
Anil chobisa
या खुदा तूने मुझे ये कैसा मंजर दिखाया है,
या खुदा तूने मुझे ये कैसा मंजर दिखाया है,
Jyoti Roshni
*श्रीराम*
*श्रीराम*
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
Loading...