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26 Sep 2024 · 1 min read

कविता चोरों को सप्रेम भेंट

कविता चोरों को सप्रेम भेंट
चुराकर साइकिल कोई अपने सीट भर बदली आज वह आपकी है
सभा से झटककर संडिल उसे फिर दी करा पालिस अतःवह आपकी है
जमी तैयार कविता की न करना आपके बस का अतः कुछ ही बदल कर
अन्य की हो बनी कविता भले ही लाख रूपों की आपके बाप की है
अवध किशोर अवधू
मोबाइल नंबर 9918854285

Language: Hindi
45 Views

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