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9 Mar 2024 · 1 min read

मित्रो नमस्कार!

मित्रो नमस्कार!
🙏🌹🙏
देखें एक चित्र!!

रोटी पर मखनी लगी,बथुवे का हो साग।
छाछ थाल में हो रखी,धन्य आपके भाग।।
धन्य आपके भाग,मिले जो पोषक भोजन ।
मुंह में पानी आय,मचलता है सबका मन।।
कहै अटल कविराय,दीखती किस्मत खोटी।
छूट गया है गांव, नहीं अब चूल्हा रोटी।।

अटल मुरादाबादी
ओज व व्यंग कवि

1 Like · 170 Views

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