Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2024 · 1 min read

मिला जो इक दफा वो हर दफा मिलता नहीं यारों,

विधा: ग़ज़ल
**********
मिला जो इक दफा वो हर दफा मिलता नहीं यारों,
टूटा जो फूल डाली से कभी खिलता नहीं यारों !

लगा चाहे ले जितना ज़ोर लेकिन सच यही है की,
अगर जो हो गया खोटा पैसा चलता नहीं यारों !

खपानी जान पड़ती पेट भरने की जुगत में भी,
बिना महनत के घर चूल्हा कभी जलता नहीं यारों !

नेताओं की झूठीं बातों में आकर के कभी देखो,
गरीबों का फटा कुर्ता ज़ामा सिलता नहीं यारों !

कभी सवेरा कभी तो शाम होना रीत दुनिया की,
सूरज उगना किसी रोके कभी रुकता नहीं यारों !!

***
स्वरचित : डी के निवातिया

116 Views
Books from डी. के. निवातिया
View all

You may also like these posts

बहुत बुरी होती है यह बेरोजगारी
बहुत बुरी होती है यह बेरोजगारी
gurudeenverma198
بن بلاۓ ادھر گئے ہوتے
بن بلاۓ ادھر گئے ہوتے
अरशद रसूल बदायूंनी
नए साल का सपना
नए साल का सपना
Lovi Mishra
#विषय उत्साह
#विषय उत्साह
Rajesh Kumar Kaurav
निश्चित जो संसार में,
निश्चित जो संसार में,
sushil sarna
बेतरतीब
बेतरतीब
Dr. Kishan tandon kranti
A pandemic 'Corona'
A pandemic 'Corona'
Buddha Prakash
हमारे इस छोटे से जीवन में कुछ भी यूँ ही नहीं घटता। कोई भी अक
हमारे इस छोटे से जीवन में कुछ भी यूँ ही नहीं घटता। कोई भी अक
पूर्वार्थ
.
.
शेखर सिंह
4251.💐 *पूर्णिका* 💐
4251.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
प्रत्युत्पन्नमति
प्रत्युत्पन्नमति
Santosh kumar Miri
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
जिन्दा हूं जीने का शौक रखती हूँ
जिन्दा हूं जीने का शौक रखती हूँ
Ritu Asooja
कश्ती का सफर
कश्ती का सफर
Chitra Bisht
तितलियां
तितलियां
Minal Aggarwal
#हम_तुम❣️
#हम_तुम❣️
Rituraj shivem verma
श्री राम अमृतधुन भजन
श्री राम अमृतधुन भजन
Khaimsingh Saini
सम्बन्ध (नील पदम् के दोहे)
सम्बन्ध (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
ग़ज़ल- मंज़र नहीं देखा
ग़ज़ल- मंज़र नहीं देखा
आकाश महेशपुरी
पुरानी यादें, पुराने दोस्त, और पुरानी मोहब्बत बहुत ही तकलीफ
पुरानी यादें, पुराने दोस्त, और पुरानी मोहब्बत बहुत ही तकलीफ
Rj Anand Prajapati
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Neelam Sharma
मारी थी कभी कुल्हाड़ी अपने ही पांव पर ,
मारी थी कभी कुल्हाड़ी अपने ही पांव पर ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
एक वृक्ष जिसे काट दो
एक वृक्ष जिसे काट दो
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
हम तेरा
हम तेरा
Dr fauzia Naseem shad
मेरी डायरी के पन्नों मे
मेरी डायरी के पन्नों मे
Saraswati Bajpai
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
चाँद यूँ ही नहीं छुपा होगा।
चाँद यूँ ही नहीं छुपा होगा।
पंकज परिंदा
क्या खोकर ग़म मनाऊ, किसे पाकर नाज़ करूँ मैं,
क्या खोकर ग़म मनाऊ, किसे पाकर नाज़ करूँ मैं,
Chandrakant Sahu
Loading...