ये सोच कर ही पुरुषों ने पूरी उम्र गुजार दी
* भीतर से रंगीन, शिष्टता ऊपर से पर लादी【हिंदी गजल/ गीति
बुंदेली दोहा - सुड़ी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
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बेटी को पंख के साथ डंक भी दो
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
रिश्ते चाहे जो भी हो।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
श्रेणी:हाइकु - डी के निवातिया
इक मेरे रहने से क्या होता है
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
मैंने रात को जागकर देखा है
कभी तू ले चल मुझे भी काशी
चांद-तारे तोड के ला दूं मैं
सनम हर पल तुझी को ही लिखे शब्दों में पाया है।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)