हमको ये आसानी है हम शायर लोग
रहब यदि संग मे हमर , सफल हम शीघ्र भ जायब !
"गमलों की गुलामी में गड़े हुए हैं ll
बरसात की वो मनहूस रात ( अमर गायक स्व मोहम्मद रफी साहब की की याद में)
इस जीवन में हम कितनों को समझ गए,
दिल को पत्थर बना लिया मैंने
ना मालूम क्यों अब भी हमको
*गर्मी में नर्मी का अहसास*
ग़ज़ल _ मैं रब की पनाहों में ।
गुनाह लगता है किसी और को देखना
*बहुत अच्छाइयाँ हैं, मन्दिरों में-तीर्थ जाने में (हिंदी गजल