दिल की हरकते दिल ही जाने,
न जाने कितनी उम्मीदें मर गईं मेरे अन्दर
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
संवादरहित मित्रता, मूक समाज और व्यथा पीड़ित नारी में परिवर्तन
इच्छा और परीक्षा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हिम्मत का सफर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
*आओ खेलें खेल को, खेल-भावना संग (कुंडलिया)*
- जिंदगी का तमाशा बना दिया -
Being a good person is a choice. Don’t let people fool you i
कौन कहता है छोटी चीजों का महत्व नहीं होता है।
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
नफरतों से अब रिफाक़त पे असर पड़ता है। दिल में शक हो तो मुहब्बत पे असर पड़ता है। ❤️ खुशू खुज़ू से अमल कोई भी करो साहिब। नेकियों से तो इ़बादत पे असर पड़ता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD