कोई मेरा दिल तोड़े, मुझे मंजूर है....
कोहरे की घनी चादर तले, कुछ सपनों की गर्माहट है।
कोई चाहे कितना भी सुंदर क्यों न हो,
जब तक हो तन में प्राण
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हे कृष्ण कई युग बीत गए तुम्हारे अवतरण हुए
उर से तुमको दूंँ निर्वासन।
प्रभु गुण कहे न जाएं तिहारे
वैसे जीवन के अगले पल की कोई गारन्टी नही है
योग ब्याम ,ध्यान कर लिए करे
टूटे तारों से कुछ मांगों या ना मांगों,
अवसर आया है अभी, करें रक्त का दान
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
दर्द दिल का है बता नहीं सकते,
*गाली जब होती शुरू, बहस समझिए बंद (कुंडलिया)*
टूटे उम्मीद तो शिकायत कैसी