भक्त कवि स्वर्गीय श्री रविदेव_रामायणी*
How to keep a relationship:
संवेदन-शून्य हुआ हर इन्सां...
इश्क़ के नाम पर धोखा मिला करता है यहां।
कैसे-कैसे दाँव छल ,रखे दिलों में पाल
सूरज चाचा ! क्यों हो रहे हो इतना गर्म ।
मेरी आँखों से भी नींदों का रिश्ता टूट जाता है
हमने एक बात सीखी है...... कि साहित्य को समान्य लोगों के बीच
पल पल रंग बदलती है दुनिया
बहू चाहिए पर बेटी नहीं क्यों?
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
मुबारक़ हो तुम्हें ये दिन सुहाना