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31 Aug 2023 · 1 min read

दुर्भाग्य का सामना

जिंदगी जब किसी मरघट की तरह
एकदम बंजर और वीरान लगती है
तब आस पास के लोगों को देख फिर
सुसुप्त पड़े मन में नई आस जगती है

किसे मालूम है कि किसी दिन भी ये
चुपचाप ऐसे ही कहीं खत्म ना हो जाए
देखते ही देखते सब कुछ गुमनामी में
हमेशा के लिए ही कहीं ना खो जाए

जब तक मचा हो अन्दर कशमकश
कोई तो कुछ कह भी नहीं सकता
जिंदगी से दो-चार हाथ किए बिना
ऐसे कोई कहीं जा भी नहीं सकता

मुझ पर तरस खाकर जिंदगी अब
मुझसे कुछ करवाने पर अड़ी हुई है
उसके इसी चक्रव्यूह में पड़ कर तो
मेरी सांसे अब भी अटकी पड़ी हुई है

कुछ ना कुछ अब तो इस दुनिया में
अपने दम पर मुझे करना ही पड़ेगा
निराशा का बादल अगर छंट जाए
तो दुर्भाग्य से कोई क्यों नहीं लड़ेगा

Language: Hindi
400 Views
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