अपने जीवन में समस्या को समझने के बजाय, हम उसकी कल्पना करके उ
"वक्त इतना जल्दी ढल जाता है"
"फ़िर से आज तुम्हारी याद आई"
*अच्छा रहता कम ही खाना (बाल कविता)*
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
दूध का वैज्ञानिक विश्लेषण
हम न रोएंगे अब किसी के लिए।
मां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
माँ-बाप की नज़र में, ज्ञान ही है सार,
समय आता है
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
ఇదే నా భారత దేశం.
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
आप सभी को नववर्ष की हार्दिक अनंत शुभकामनाएँ