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15 Feb 2025 · 1 min read

चंद्रमा की कलाएं

ज्यो बढ़ती है चंद्रमा की कलाएं बढ़ती रहे
वैसे ही मेरे संस्थान की पैनी✍️ धाराएं
चौसठ कलाएं बढ़ाती साहित्य आकाश की धवल सुंदरता
जहां साहित्य सुधारस क्रांति का बिगुल फूंक दिनकर को भी विवश कर देती शीतल होने को,
और विधु (चांद)रश्मियां भी आंदोलित कर देती सुप्त रुधिर को
हृदय संप्रेषित करते भाव
प्रश्न चिन्ह उठाती है और
संवेदित कर अधरों को विकलता के गीत गुनगुनाती

अश्रु

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