*मनः संवाद—-*

मनः संवाद—-
15/02/2025
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
मन मैला कुविचारों से, धँसा वासना कीच में, कोई कहो उपाय।
लज्जा आती शीश झुका, कैसे मुखड़ा अब उठे,
किया बहुत अन्याय।।
सिर्फ दिखावा ही करता, लुभावने जुमले कहे, ओर बढ़ाया आय।
जिन्हें सताया खूब कभी, मेरा मन कहता यही, लगी मुझे है हाय।।
सुखी नहीं क्यों जीवन में, भोग लिया कल सुख अधिक, अब दुख की है मार।
बाहुबली बन इतराता, अब लगता असहाय हूँ, बही समय की धार।।
अब भविष्य दुखमय मेरा, सुख सपना सा लग रहा, तन रहता बीमार।
कोई मुझको नहीं मिला, सत्य बताता भेद भी, जाता सद्गुरु द्वार।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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