Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Aug 2024 · 1 min read

स्वयं को बचाकर

गीतिका
~~
आफत न आती बताकर तुम्हें है।
रखना स्वयं को बचाकर तुम्हें है।

उनकी बहुत चाहतें हैं निराली।
नखरे भी रखने उठाकर तुम्हें है।

आसान होती नहीं मुश्किलें जब।
रखना कदम अब बढ़ाकर तुम्हें है।

बातें बहुत हो गयी हैं समझ लो।
वादा दिखाना निभाकर तुम्हें है।

करके बताना कभी ठान लो जो।
अब सर न रखना झुकाकर तुम्हें है।

दिल टूटकर जब बिखरना लिखा है।
क्या कुछ मिलेगा सताकर तुम्हें है।

सावन बहुत जब बरसने लगा है।
रखना बदन को भिगाकर तुम्हें है।
~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १३/०८/२०२४

Loading...