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16 Aug 2020 · 1 min read

आंखे नींद से मिन्नते करती है,

आंखे नींद से मिन्नते करती है,
पर रात गुजर जाती हैं।
कितना समझती हूं खुद को,
फिर भी आंखो से आसुओं की धार निकल जाती हैं।
खुद से मेरी ख़ुद की ही लड़ाई है कितना भी चुप रहने की कोशिश करती हूं,
पर होठों से बात निकल जाती है।

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