Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
24 Jan 2024 · 1 min read

माटी

माटी हमार है प्यारा
दुनिया में है न्यारा
यही हमार देश है
यही हमार रोटी है ।

माटी ही है हम
माटी ही हो तुम
फिर ये भेद कैसा
फिर ये दूरी कैसा ।

अकेले जब आएं हम
अकेले ही जाएंगे हम, तो
किसके लिए दुष्कर्म करूं
किसके लिए सत्कर्म करूं ।

इधर माटी उधर माटी
जहां देखो तहां है माटी
प्रेम की परिभाषा माटी
दानी की अभिलाषा माटी ।

इस माटी खातिर जीते हम
इस माटी खातिर मरते हम
माटी से बना यह तन हमारा
ए दिवा माटी होगा तन हमारा ।

इस माटी का उपयोग कर
जिंदगी का सदुपयोग कर
कुछ अनूठा कर जा जग में
कि भंवर करे तुम्हें इस जग में।

Loading...