बड़े साहब : लघुकथा
Bade Sahab: Short Story in Hindi Big Boss
मैं अपने बाँस के कमरे में गया और उनके सामने दो दिन की छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र रखा। मैंने कहा “सर मेरे साले की शादी है मुझे मुझे कानपुर जाना है दो दिन का अवकाश चाहिए।” मेरे बॉस शर्मा जी ने कहा आजकल पार्लियामेंट का सेशन चल रहा है कुछ आवश्क कार्य करने है छुट्टी नहीं दी जा सकती। मैं जानता था कि हमारे बॉस बहुत गर्म मिजाज के हैं छुट्टी मिलना आसान नहीं है। मैंने अपने बाँस के बताये कार्य जल्दी – जल्दी पूरे कर दिये। मैं दुबारा बाँस के कमरे में भी नही गया छुट्टी के लिये क्योंकि मैं सुन चुका था लोगों से कि साहब छुट्टिया देने में कर्मचारियों को परेशान करते हैं।
दो दिन के बाद मेरे साहब ने मुझे कमरे में बुलाया और कहा – “आप कल कानपुर ये फाईल लेकर चले जाये वहाँ लेबर कमिश्नर से बाते करें। यह काम जरूरी है।” मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि जो अधिकारी मुझे शादी दो दिन की छुट्टी देने में आना कानी कर रहा है उसी ने मुणे टूर पर कानपुर को जाने को कह दिया ताकि मैं शादी में शामिल हो सकूं। मैं उनसे फाईल लेकर मन ही मन उन्हें धन्यवाद देकर कमरे से बाहर निकल आया। लगा हमारे साहब बादाम की तरह ऊपर से सख्त और भीतर से नरम हैं। – डॉ. मुल्ला आदम अली