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7 Jul 2023 · 1 min read

*कभी लगता है जैसे धर्म, सद्गुण का खजाना है (हिंदी गजल/गीतिका

कभी लगता है जैसे धर्म, सद्गुण का खजाना है (हिंदी गजल/गीतिका)
_________________________
(1)
कभी लगता है जैसे धर्म, सद्गुण का खजाना है
कभी लगता है जैसे आग, बस इसको लगाना है
(2)
कभी लगता है हमको धर्म, गुणकारी बनाएगा
कभी लगता है इसका कार्य, दोषों को बढ़ाना है
(3)
कभी लगता है हम में धर्म, मानवता जगाएगा
कभी लगता है इसका काम, दानवता सिखाना है
(4)
कभी लगता है यह सद्भाव, मैत्री पथ अहिंसा का
कभी लगता है जैसे धर्म, चाकू बस चलाना है
( 5 )
कभी लगता है जैसे धर्म, जोड़ेगा मनुष्यों को
कभी लगता है दुश्मन यह, मनुजता का पुराना है
_________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451

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