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7 Jul 2024 · 1 min read

दिवस पुराने भेजो…

उस प्रेम की नगरी से प्रणया,
मुझको दिवस पुराने भेजो,
वो प्रीत के सुन्दर गीत सुहाने,
अधरों पर फिर दोहराने भेजो…

अनुताप भरा कितना इस मन में,
कितने पल छिन बीते जीवन में,
प्यारी सुरभि को संवेदन की,
फिर जीवन में महकाने भेजो…

मैं सब कुछ पाकर एकाकी हूँ,
प्रिय तुम बिन मैं बैरागी हूँ,
फिर अभिलाषा को तुम हृदया,
मेरे अंतस में उपजाने भेजो…

©विवेक’वारिद’*

Language: Hindi
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