Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
5 Oct 2021 · 1 min read

मुक्तक

ना मोहब्बत रही ना फ़साने रहे,
ना रिश्तों के अब वो खज़ाने रहे,
सूरज से नज़रे मिलाने की ज़ुर्रत
ज़िद्द वाले कहाँ अब ज़माने रहे,,

Loading...