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5 Oct 2021 · 1 min read

प्रभु सुमिरन जो जन न करै------

प्रभु सुमिरन जो जन न करै, करै ना भक्ति विवेक।
मूरख दर-दर फिरि रहा, अधम बगुला भक्त अनेक।।

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