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1 Apr 2021 · 1 min read

ऐ पत्नी !

ऐ पत्नी !
……..
ऐ पत्नी ! तुम अज़ब ग़ज़ब हो
रहता पास जब मैं तेरे तो, तुम
ज़ुल्म ढहाती हो जुबां से तुम
कनफोड़वा-सी कान फोड़ती ।।

ऐ पत्नी ! तुम ग़ज़ब ढहाती हो
पी-कर लहू पानी से नहाती हो
दूध पिलाती हो ज़बरन मुझको
आँखे दिखलाती हो तुम मुझको।।

ऐ पत्नी ! दूर जाता हूँ मैं जब
बड़ा प्यार जतलाती हो , तुम
और कहती तो कब आओगे
फुल्के-सा मुँह पंचर कर लेती।

ऐ पत्नी ! बड़ी नादां हो तुम
कब समझोगी , मुझको तुम
बरस पर बरस बीते .. मगर
तुम अभी तक न हुई सरस ।।

ऐ पत्नी ! तुम अज़ब ग़ज़ब हो
पत्नी..ही बने रहना चाहती हो
खेर कोई बात नहीं….बने रहो
जमे रहो पद पर बने रहो बस।।

ऐ पत्नी ! तुम अज़ब ग़ज़ब हो
नेताओं ने भी तुमसे. सीख ली
तुमने उनसे न कोई .फीस ली
फिर शागिर्द तुम्हारे .पक्के हैं।।

ऐ पत्नी ! तुम अज़ब ग़ज़ब हो
चाहता हूं मुझे ठोकने से पहले
मैं तुझे जी भर सलाम ठोक दूं
तेरे प्यारे मखमली हाथ रोक दूं।।

?मधुप बैरागी

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