संदेशे भेजूं कैसे?
संदेशे भेजूं कैसे, पता तेरा बेपता अब हो गया है,
शब्दों की स्याही चलाऊं कहाँ, जब कागज़ का नामोंनिशां मिट गया है।
वेदना भरे आंसूं गिराऊं कहाँ, स्नेहिल चादर हीं छीन गया है,
इस क्रुद्ध आँधी से बचकर जाऊं कहाँ, जब अस्तित्व छत का हीं गिर गया है।
नाव आशाओं के चलाऊं कैसे, जो पतवार हाथों से फिसल गया है,
इस सागर के पार जाऊं कहाँ, जो धरातल हीं लहरों में सिमट गया है।
सितारों से लाड लगाऊं कैसे, आसमां मेरा बिखर गया है,
इस क्षितिज पर सूरज को पाऊं कहाँ, जब सवेरा हीं मुकर गया है।
कोयल संग गीत मैं गाऊं कैसे, जो सुर हीं गुम गया है,
तेरे क़दमों के निशाँ अब पाऊं कहाँ, जिसे सागर निगल गया है।
पहरे दर्द पर लगाऊं कैसे, जो नासूर ज़ख्म ये मिल गया है,
सपनों में भी अब मिल पाऊं कहाँ, जो कोरी आंखों में बस धुंआ सा भर गया है।
बेबसी में तुझको बुलाऊँ कैसे, पार इस जहां को तू कर गया है,
सीढ़ियां अबमैं वो पाऊं कहाँ, मंजिल पर जिसकी तू ठहर गया है।