नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
वे जो राई का सदा, देते बना पहाड़
मैं वो मिथिला कुमारी हूँ - कोमल अग्रवाल
दोस्तों बात-बात पर परेशां नहीं होना है,
"एक अग्नि की चिंगारी काफी है , जंगल जलाने के लिए l एक बीज का
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
उद्देश और लक्ष्य की परिकल्पना मनुष्य स्वयं करता है और उस लक्
विपक्ष के शब्दकोष में "कर्तव्य-निष्ठा" का मतलब "गुंडागर्दी"
लगाते भाल पर चंदन बताते गर्व से हिंदू,
Anamika Tiwari 'annpurna '
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
ये दुनियाँदारी झूठी है ये प्रेम की क्यारी झूठी है।
ग़ज़ल _ मिले जब भी यारों , तो हँसते रहे हैं,
घृणा के बारे में / मुसाफ़िर बैठा
जन्मजात जो है गरीब तो क्या?
आस्मां से ज़मीं तक मुहब्बत रहे
आनंद और शांति केवल वर्तमान में ही संभव है, दुःख केवल अतीत मे