फ़लसफ़ा है जिंदगी का मुस्कुराते जाना।
अब आना तो थोड़ी फुर्सत में आना,
कितनी हीं बातें हैं पास मेरे, थोड़ी तो तुम सुनते जाना।
यूँ तो हर पल लगा रहता है, तुम्हारी यादों का आना-जाना,
पर ठहर जाओ तुम पास मेरे, वक़्त ऐसा तुम साथ ले आना।
चाहतें मेरी कुछ ख़ास नहीं है, बस है एहसासों का ताना-बाना,
डर खोने का तुम्हें ना रहे पास मेरे, चोरी ऐसी तुम कर के दिखाना।
नीला आसमां बेसुध पड़ा है, बस लगा है बादलों का आना-जाना,
साथ घुल कर बह जाए अश्क मेरे, बारिशें ऐसी तुम साथ ले आना।
शिकायतें मेरी किस्मत से नहीं है, यूँ लकीरों ने खींचा है ये अफसाना,
सफर हाथों से लकीरों तक का तय हो जाए, कुछ ऐसी राहों पर तुम साथ चल कर दिखाना।
तस्वीरों का शौक किसे है, मुझे तो हर पल को है ज़िंदा कर जाना,
जो मैं कह ना पाऊं निःशब्द जुबां से, ख़ामोशी ऐसी तुम समझ कर समझाना।
वक्त आता है कहाँ लौटकर, ये तो बस था ख्यालों का बातें बनाना,
अश्क़ मौत को झुठला पाते कहाँ है, तो अब बस फ़लसफ़ा है जिंदगी का मुस्कुराते जाना।