संजीव शुक्ल 'सचिन' Tag: लेख 35 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid संजीव शुक्ल 'सचिन' 30 Jul 2022 · 2 min read रविवार का दिन, आज फैक्टरी में अवकाश होने के कारण दिल से एक आवाज आई चलो कही भ्रमण रविवार का दिन, आज फैक्टरी में अवकाश होने के कारण दिल से एक आवाज आई चलो कही भ्रमण को चलें। दिल के हाथो मजबूर मै निकल पड़ा , कीन्तु जाना... Hindi · लेख 1 279 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 27 Jan 2022 · 2 min read हम और हमारा साहित्य साहित्य मन का दर्पण होता है, सृजनशीलता हर मानवमात्र में होती है, लेखन का आपके मस्तिष्क एवं मनोभावों से गहरा नाता है, जरुरत है तो बस मस्तिष्क एवं मनोभावों का... Hindi · लेख 1 495 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 27 Jan 2022 · 4 min read कोरोना काल और हम कोरोना काल और हम --------------------------------- कोरोना काल वाकई एक ऐसा विपरीत परिस्थितियों से उत्पन्न कठिन समय, जिसके प्रभाव से शायद ही कोई सुरक्षित रहा हो। कोई इसके चपेट में आकर... Hindi · लेख 1 229 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 10 Oct 2021 · 2 min read परिचर्चा (कन्या पूजन का महत्व) परिचर्चा (कन्या पूजन का महत्व) विधा:- आलेख दिनांक:- ८/१०/२०२१ ___________________________________________ सनातन संस्कृति एवं वैदिक मान्यताओं के फलस्वरूप नवरात्रि में नवदुर्गा के नव अलग- अलग स्वरूपों का पूजन नव कन्याओं के... Hindi · लेख 1 511 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 3 Jul 2021 · 3 min read पहिले जतरा ससुरारी के विधा:- संस्मरन पहिले जतरा ससुरारी के। ____________________''''''_____"'"_____________________ एगो अइसन अनुभव जवना के जेहन में अवते खुदही पऽ हंसे के मजबूर हो जानी। बात तब के हऽ जब हमरा बिआह भइला... Bhojpuri · लेख 2 651 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 31 Dec 2020 · 3 min read अलविदा दो हजार बीस नमन●●●●● सफरनामा 2020 अलविदा दो हजार बीस #दो_हजार_बीस_से_वार्तालाप शुक्ला जी:- और भाई दो हजार बीस जा रहे हो? दो हजार बीस:- जी शुक्ला जी जा रहा हूँ पर जाते -... Hindi · लेख 3 1 255 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 9 Dec 2020 · 3 min read लेखन हमारी नज़र में #लेखन_हमारी_नज़र_में ~~~~~~~~~~~~~~~ साहित्य मन का दर्पण होता है, सृजनशीलता हर मानवमात्र में होती है, लेखन का आपके मस्तिष्क एवं मनोभावों से गहरा नाता है, जरुरत है तो बस मस्तिष्क एवं... Hindi · लेख 3 5 351 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 8 Dec 2020 · 2 min read पूजा एवं अंधविश्वास ईश्वर कण कण में व्याप्त है और हम अनंत चैतन्य ईश्वर के ही अंश हैं। समस्त सृष्टि का जन्मदाता वहीं है। उसके प्रति हमारी आस्था ही सही अर्थों में उस... Hindi · लेख 2 489 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 2 Dec 2020 · 1 min read पिता के नाम पत्र परम पूज्य पिता श्री सादर चरणस्पर्श मैं कुशल हूँ , आप सकुशल, स्वस्थ व सानंद रहे इस बात के लिए नित्य प्रतिदिन बाबा विश्वनाथ जी के चरणों में नत्मस्तक हो... Hindi · लेख 1 488 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 20 Nov 2020 · 2 min read मंत्रोच्चारण का महत्व मंत्रोच्चार का महत्व ----------------------------- मन को नियंत्रित करके उसे एक तंत्र में लाने के लिए ही मंत्र का उच्चारण करते हैं। 'मंत्र' का अर्थ है मन को एक तंत्र में... Hindi · लेख 1 1k Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 25 Oct 2020 · 2 min read मानवावतार (आलेख) विषय :- मानवावतार #मङ्गलाचरण:- अविकाराय शुद्धाय नित्याय परमात्मने। सदैकरूपरूपाय विष्णवे सर्वजिष्णवे।। नमो हिरण्यगर्भाय हरये शङ्कराय च। वासुदेवाय ताराय सर्गस्थित्यन्तकारिणे।। *जो ब्रह्मा, विष्णु और शंकर रूप से जगत् की उत्पत्ति, स्थिति... Hindi · लेख 1 894 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 27 Sep 2020 · 3 min read अध्ययन अध्यापन पर पड़ता आज का अनैतिक प्रभाव!! अध्ययन-अध्यापन पर पड़ता आज का अनैतिक प्रभाव!! _____________________________________________ मानव जीवन प्राप्त करने का मूल उद्देश्य क्या होना चाहिए ? इसकी जानकारी हमें अध्यन-अध्यापन के माध्यम से ही प्राप्त होती है।... Hindi · लेख 4 2 519 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 20 Jun 2020 · 1 min read पहला प्रेम-पत्र ❤️ #पहला_प्रेम_पत्र_विवाह_निश्चित_होने_के_बाद ❤️ सादर समीक्षार्थ प्राणेश्वरी मिलन की आकांक्षा प्रिये ! जबसे तुम्हारे नाम यह जीवन लग्नपत्रिका में कैद हुआ है, सच कहूं तो मन रूपी यह पंछी तुमसे मिलने,... Hindi · लेख 4 2 447 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 18 Jan 2020 · 5 min read भ्रष्टाचार क्यों?? ?️ #भ्रष्टाचार_क्यों..? ?️ _____________________________________________ ----------------------------------------------------------------------------- मैं आजकल अपने पैतृक राज्य बिहार के दौरे पर हूँ, एक कामकाजी व्यक्ति जब फुर्सत के पल में होता है तब दिमागी कीड़े कुलबुलाने लगते... Hindi · लेख 2 2 442 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 4 Jun 2019 · 3 min read संस्मरण यादें खट्टी मीठी ******************************************** ✍️प्रथम यात्रा घर से ससुराल तक✍️ ******************************************** एक ऐसा अनुभव एक ऐसी याद जो जेहन में आते ही स्वतः हमें खुद पे हँसने को मजबूर कर... Hindi · लेख 1 347 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 31 Jul 2018 · 2 min read माँ के नाम चिट्ठी विषय ....पत्र लेखन विषय.. माँ के नाम पत्र दिवस.....शनिवार दिनांक....२८/७/२०८ ??????? ??????? परम पूजनीय माँ सादर चरण वंदन मैं तुम्हारे स्नेहाशीष के छत्रछाया में कुशल हूँ एवं तुम्हारी कुशलता, स्वस्थता... Hindi · लेख 1k Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 2 Mar 2018 · 1 min read ससुराली होली (हास्य) #सादर_समीक्षार्थ ❄❄❄❄❄❄❄❄❄ ससुराली होली (हास्य या चिंतन) ******************************* आजतक यही सुनता व देखता आया हूँ सबसे रंगभरी होली ससुराल की होती है……….. पर अफसोस अब तक यह सौभाग्य हमें प्राप्त... Hindi · लेख 1 374 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 14 Feb 2018 · 2 min read धर्म के नाम पर होता अश्लीलता का नंगा नाच *********†***********†************ हमारे सनातन धर्म में मूर्ति पूजन का बड़ा ही प्राचीन परम्परा है , एक वह मूर्ति जिसकी स्थापना करने के बाद निरंतर उसकी पूजा की जाती है इस प्रकार... Hindi · लेख 3 863 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 17 Jan 2018 · 2 min read लोकतंत्र के लिए काला दिन क्या हो गया है हमारे लोकतंत्र को आज जिधर नजर दौड़ाईयें बस बद्बूदार कीचड़ हीं कीचड़ है, इस लोकतंत्र की सबसे मजबूत धूरी, निश्पक्ष कही जाने वाली, इस लोकतंत्र को... Hindi · लेख 428 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 14 Jan 2018 · 3 min read पोंगापंथी सनातन के लिए नासूर सनातन (हिन्दुत्व) के लिए खतरा बनते अर्द्ध ज्ञानी पंडित। .................................... आज कल केवल छोला छाप डाक्टर ही नहीं अपितु अर्द्ध ज्ञानी पंडितों की भी हमारे हिन्दू धर्म में भरमार है... Hindi · लेख 468 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 8 Jan 2018 · 2 min read विनाश अब दूर नहीं आज ठंढ बहुत ज्यादा है मेरे मुख से यह शब्द फुटे ही थे तभी पिताजी तपाक से बोल पड़े ....बाबू अब जो भी हो रहा है प्रकृति की तरफ से... Hindi · लेख 258 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 19 Dec 2017 · 4 min read प्रदूषित जीवनशैली ; ऐ कैसी मजबूरी....??? प्रदूषित जीवनशैली; ऐ कैसी मजबूरी....??? ************************************ आज मैं अपने अतिप्रिय हृदयंग अनुज अमरदीप बाबू का भावनाओं से ओतप्रोत एक अत्यंत हृदयस्पर्शी लेख पढ रहा था जिसमें उन्होंने माता के आंचल... Hindi · लेख 366 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 16 Dec 2017 · 2 min read दोष किसका...??? दोष किसका...??? ..... ...... ....... सन् 1989 डी.एम.एकेडमी बगहा हाई स्कूल बोर्ड परीक्षा का सेन्टर। हम सभी मित्र बड़े ही जतन के साथ परीक्षा स्थल पहुंचे। हृदय में ठोड़ी सी... Hindi · लेख 1 472 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 12 Dec 2017 · 1 min read बुराई को संबल क्यों........? बुराई का बोलबाला व प्रबलता इस लिए अधिक होती है क्योकि भलाई के पक्षधर इसका विरोध करने के अपेक्षा इससे दूरी बना लेने में ही अपना भला समझ लेते है।... Hindi · लेख 419 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 15 Nov 2017 · 1 min read हमारे दुखों का मूल कारण जो सरस हो, सरल एवं सत्य हो हम हमेशा उसी से विमुख हो अपने जीवन की परिकल्पना करते है और यही हमारे दुखों का सर्वश्रेष्ठ कारण है। हम गरीब है... Hindi · लेख 373 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 3 Nov 2017 · 4 min read कल आज और कल आज कल और आज... ................................ क्या कुछ नहीं बदला है आज , कल, और आज में जब हम बच्चे थे प्रारंभिक शिक्षा का वह दौर और वह अभाव ग्रस्त बचपन... Hindi · लेख 1 467 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 18 Oct 2017 · 2 min read मित्रता मित्र, दोस्त, यार ऐ ऐसे शब्द हैं जिनके श्रवण मात्र से जैसे फिजा में खुशबू बिखर जाती है।मित्रता विश्वास की वो चरम विन्दू जिसके उपरांत और कुछ भी नहीं।मित्र जो... Hindi · लेख 418 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 18 Oct 2017 · 2 min read निंदा और आज की राजनीति निंदा और निन्दक दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं जैसे नदी के दो किनारे जो मिलते तो कभी नहीं किन्तु एक के बीना दुसरा अधुरा है।..... ऐ शब्द... Hindi · लेख 601 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 17 Sep 2017 · 4 min read आरक्षण या विषवेल आरक्षण ............... आज का दौर आरक्षण का दौर है जहाँ हमारी सोच भी आरक्षित हो गई है, हम योज्ञता के समब्द्ध कम अपितु आरक्षण के मातहत कुछ ज्यादा ही सोचने... Hindi · लेख 1 295 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 18 Aug 2017 · 2 min read प्राकृतिक आपदा जब मनुष्य खुद को सबसे बड़ा बलशाली, सामर्थ्यवान, बुद्धिमान मानने लगता है तभी ईश्वर के द्वारा रचाये विनाशकारी लिलाओं का हमारे जीवन में प्रादुर्भाव होता है। आज हम प्रकृति से... Hindi · लेख 245 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 22 Jul 2017 · 2 min read जिम्मेदारी किसकी....? आज मै वसुधा जी का एक लेख पढ रहा था फेसबुक पर तभी मेरे दिमाग का कीड़ा कुलबुलाया और मैनें तुरन्त ही उस पोस्ट की पोस्टमार्टम करने की ठान ली।... Hindi · लेख 1 693 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 21 Jul 2017 · 1 min read प्रगतिशील जीवनस्तर या नैतिक पतन प्रगतिशील जीवनस्तर या नैतिक पतन *******†*†*****†*†******†*†******* सिकुड़ता समय का दायरा और बढते जिम्मेदारियों का दायित्व, विलुप्त होती मानवता, बढते स्वार्थपरता के दायरे। आज के गतिशील जिन्दगी के यहीं वो साइड... Hindi · लेख 1 365 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 20 Jul 2017 · 2 min read आखिर हम किस ओर जा रहे हैं? हम किस ओर जा रहे हैं? अपने वजूद को खोने तो नहीं लगे हैं? सभ्यता तार- तार हो रही है, संस्कृति पतन के पथ पे अग्रसर हो रही है, बड़े-छोटे... Hindi · लेख 1 320 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 14 Jul 2017 · 2 min read दोषी कौन...? दोषी वो औरतें नहीं वो बेटी और बहनें नहीं जो आज नग्नता को आधुनिकता मान बैठी हैं , दोस्तों दोषी हम हैं दोषी आप है सही अर्थों में हम ,आप... Hindi · लेख 1 304 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 13 Jul 2017 · 2 min read पापा कहते हैंं... पापा कहते हैं , आज के बच्चों की यह सबसे बड़ी ब्यथा है पापा कहते हैं काबिल बनो , पापा कहते हैं सफलता के झंडे गाड़ो, जो मैं न कर... Hindi · लेख 549 Share